Friday 13 January 2017

बजट 2017- एक सेवानिवृत्त के दृष्टिकोण से




डिज़िटल दुनिया में रहने वाली इस शताब्दी की  नई पीढ़ी (जनरेशन एक्स) के सदस्य एक ओर जहाँ पूरी चकाचौंध को अपनी ओर कर लेते  हैं  और इस तरह से माहौल बनाते हैं कि हमारे देश के लिए बहुत आवश्यक जनसांख्यिकीय लाभांश सिर्फ  उनका है, जबकि दूसरी ओर आज़ादी के बाद जन्म लेने वाले भारतीयों की बड़ी भारी तादाद है, जिन्होंने देश के प्रति पूरी जिम्मेदारी निभाई और आज देश जहाँ है, उसे वहाँ तक लाने के लिए हफ़्ते के 60 घंटे काम करते रहे। ये वे स्त्री-पुरुष हैं, जो सन् 1947 के बाद जन्मे। अब वे  अपने जीवन के छठें दशक में है और सत्तर साल की उम्र के क़रीब पहुँच रहे हैं।

जहाँ हमारे देश के 65 प्रतिशत से अधिक लोग उस भारतीय युवा पीढ़ी के है जिसकी आयु 35 साल से भी कम है, वहीं 60 साल से अधिक उम्र वाले लोगों की संख्या भी बढ़ रही है और सन् 2020 तक यह 100 मिलियन को पार कर जाएगी। हमारे देश के हर तबके, आर्थिक स्तर की सामाजिक परतों में इन वरिष्ठ नागरिकों का विस्तार हो रहा है, और आज जिस तरह की स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध है, इनमें से अधिकांश अगले दो या तीन दशक तक जीवित रह सकते हैं।

 प्रधानमंत्री ने 31 दिसंबर 2016 को छोटे परदे से पूरे देश के सामने इन वरिष्ठ नागरिकों को रेखांकित किया और उनके लिए दस साल की समयावधि की जमा राशि पर 8% ब्याज दर देने की घोषणा की। यह एक शानदार शुरुआत है लेकिन क्या वास्तव में सरकार इन सेवानिवृत्त लोगों की ज़रूरतों को समझ पाई है। 
     
भारत के सेवानिवृत्त राष्ट्रीय बजट के बाद किन चीज़ों के दामों में कमी होने की ओर इतनी उम्मीद लगाए बैठे हैं? इस सवाल का सटीक जवाब तभी मिल सकता है यदि हम सेवानिवृत्तों की आर्थिक ज़रूरतों को ध्यान में रखें।  

आयकर

आयकर कानून में वरिष्ठ नागरिकों की दो श्रेणियाँ की गई हैं। एक वे जिनकी आयु 60 से 80 साल के बीच है और जो वरिष्ठ नागरिकों के रूप में जाने जाते हैं और दूसरे वे जो 80 साल से अधिक आयु के हैं और जिन्हें सुपर वरिष्ठ नागरिक माना जाता है।

उपरोक्त दो श्रेणियों के लिए आयकर छूट की राशि क्रमश: तीन लाख रुपए और 3.50 लाख रुपए है। वरिष्ठ और सुपर वरिष्ठ नागरिकों को बहुत बड़ा लाभ तब मिल सकता है जब यह सीमा बढ़कर क्रमश: पाँच लाख रुपए और दस लाख रुपए हो जाए।
     
जिस तरह से बढ़ती उम्र के लोगों में वृद्धि देखी जा रही है, सरकार इन लोगों को तीन खंडों में बाँट सकती है- 60 से 70 साल, 70 से 80 साल और 80 साल से ऊपर। वरिष्ठ नागरिकों के लिए 20 साल का कालखंड बहुत ज़्यादा है।

पेंशन और मासिक भत्ता

सरकारी और निजी क्षेत्र के सेवानिवृत्त लोगों के अतिरिक्त ऐसे और कई सेवानिवृत्त हैं जिनको पेंशन नहीं मिलती और उन्हें अपनी बचत पर ही निर्भर रहना पड़ता है। अधिकांश सेवानिवृत्त लोगों ने अपनी जमा पूंजी को अपने प्रोविडेंट फंड, पब्लिक प्रोविडेंट फंड, ग्रेज्युटी और कुछ अन्य बचत में रखा है। सेवानिवृत्त होते ही वे इनमें से राशि निकाल लेते हैं। बहुत कम लोगों को पता होता है कि उनकी जीवन भर की पूंजी की इस बड़ी-भारी राशि का क्या करना है। वर्तमान में सेवानिवृत्तों के लिए बहुत कम पेंशन योजनाएँ हैं। हर सेवानिवृत्त किसी निवेश में क्या देखता है, तो वह ऐसा निवेश चाहता है जिसमें वह बड़ी मात्रा में पैसा लगाए और उसे उसमें से कुछ मासिक भत्ता मिलता रहे। 

सरकार को म्युचुअल फंड, बैंक और वित्तीय संस्थानों पर ख़ास इन्सेन्टिव लाने के बारे में विचार करना चाहिए। इसके लिए कुछ ऐसे विशेष वित्तीय उत्पाद लाने चाहिए जो केवल 60 साल से अधिक आयु के लोगों के लिए ही हो।
     
इस तरह के वित्तीय उत्पादों की रूपरेखा का उसूल यह होना चाहिए कि वे निवेश योजनाओं में वृद्धि करने के साथ मासिक भत्ता भी देंगे जबकि मूल राशि यथावत रहने का वादा होगा। रिटर्न मिलने की मार्गदर्शिका भी इस तरह हो कि मियादी निवेश दर का उपयोग कम से कम दो प्रतिशत या उससे अधिक पर ही किया जा सकेगा।

ऋण

वरिष्ठ नागरिक नया घर बनाने या जिस घर में वे रह रहे हैं उसे विस्तार देने के लिए ऋण चाहते हैं क्योंकि कई लोगों के बड़े बच्चे अपने माता-पिता के साथ रहने के लिए घर लौटना चाहते हैं। प्रधानमंत्री को वरिष्ठ नागरिकों के लिए नौ लाख रुपए से अधिक और 12 लाख रुपए तक का गृह कर्ज़ लेने पर ब्याज़ दर में आकर्षक कमी की घोषणा करनी चाहिए। इसी के साथ, प्रधानमंत्री जी को उन लोगों के लिए भी आकर्षक योजनाओं की घोषणा करनी चाहिए जो ग्रामीण भारत के अपने घरों का विस्तार करना चाहते हैं।

वरिष्ठ नागरिकों को इस तरह के ऋण और वाहन ऋण के लिए भी उच्च खंड (स्लैब) में और अधिक अनुदान दिया जाना स्वागत योग्य कदम होगा।

गिरवी रखना
     
भारत के अधिकांश वरिष्ठ नागरिकों के पास संपत्ति तो होती हैं पर नक़दी के मामले में वे गरीब होते हैं। उनके घर, उस ज़मीन पर बने होते हैं जो उन्होंने कई दशक पहले ख़रीदी होती है, उसकी अभी क़ीमत बहुत हो सकती है तब भी वे रोज़मर्रा की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करते हैं। भारत में, हममें से अधिकांश यह सोचते हैं कि हमें अपने बच्चों के लिए घर छोड़कर जाना है, जबकि मेरा मानना है कि उनकी रूचि केवल अपने अभिभावकों के घर की क़ीमत में होती है और उनके गुज़र जाने के बाद, इस तरह के अधिकांश घर बेच दिए जाते हैं। जबकि इसके बदले गिरवी रखने की योजना है और सरकार ने यह प्रावधान किया हुआ है कि गिरवी रखने पर जो भी रक़म मिलेगी उसे कर मुक्त किया जाएगा, बहुत कम लोग इस बारे में जानते हैं और उनमें से भी बहुत कम उस योजना का लाभ उठाते हैं।

गिरवी रखने की इस योजना को सरकार द्वारा लोकप्रिय बनाया जाना चाहिए और इस पर अतिरिक्त लाभ की घोषणा करनी चाहिए ताकि वरिष्ठ नागरिक अपने बेशकीमती घरों की लगभग समाप्त प्राय: कीमत को पुनर्जीवित कर अपने जीवन के अंतिम तीन दशक वित्तीय सुरक्षा और संरक्षण में गुज़ार सके।

रियायती दरों पर वृद्धाश्रम बनाने के लिए भूमि खरीदी में राहत

ऐसे कई वरिष्ठ नागरिक देखे जा सकते हैं जो अपने बच्चों को पाल-पोसकर बड़ा करने के बाद अब अकेले रह रहे हैं, उन्हें सामाजिक सुरक्षा की बेहद आवश्यकता है। उनके लिए मित्र तलाशना भी बहुत मुश्किल साबित होता है। वरिष्ठ नागरिकों ने केवल अपने पारिवारिक सदस्यों पर निर्भर रहने की बजाए सहायता के लिए एक-दूसरे पर निर्भर रहना शुरू कर दिया है, इस वजह से इन दिनों तेजी से सहायता समूह बन रहे हैं। देश के कई हिस्सों में मददगार रहवासी घर भी बनने लगे हैं, लेकिन वे बहुत महंगे होते हैं और वहाँ रहना खर्चीला। इमारत बनाने वाले ऊँची कीमत वसूलते हैं क्योंकि ज़मीन की कीमत बहुत ज़्यादा है।
सरकार को बजट में ख़ासतौर पर इस तरह के वृद्धाश्रमों या मददगार रहवासी घरों को बनाने के लिए रियायती दर पर ज़मीन देने की ओर ध्यान देना चाहिए। कीमतें स्थिर किए जाने की भी ज़रूरत है ताकि उचित दाम पर वृद्धाश्रम बनाकर उपलब्ध कराए  जा सके। ज़ाहिर है इसके लिए एकदम कड़े मापदंड बनाने होंगे ताकि कोई भी भवन निर्माता इस सुविधा का लाभ अनैतिक रूप से अपने लाभ के लिए उठा पाये।
स्वास्थ्य बीमा

भारत के लगभग 70 प्रतिशत लोगों के पास किसी तरह का कोई चिकित्सा बीमा नहीं है। सरकारी चिकित्सा बीमा सबसे बड़ा समूह है जिसमें सरकार द्वारा 300 मिलियन से अधिक भारतीयों को समाहित किया गया है। निजी चिकित्सा बीमा कंपनियों द्वारा केवल 75 मिलियन भारतीयों का बीमा हुआ है।
     
जीवन बीमा की 15,000 रुपए तक रकम आयकर सीमा की छूट में आती है जबकि वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह 20,000 रुपए है। छोटे से पाँच लाख रुपए के मेडिकल कवर के बीमा की राशि भी बहुत ज़्यादा है इसलिए वास्तव में इस छूट को बढ़ाना चाहिए।

सरकार द्वारा  हर नियोक्ता  को इस बात के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है कि वह  लंबे समय तक अपनी सेवाएं देनेवाले हर कर्मचारी के पूरे जीवन का बीमा करवाए। हर नौकरीपेशा के लिए जितनी मानव संसाधन लागत रखी गई है,बीमा राशि उसका हिस्सा होना चाहिए और यह नीति उनके सेवानिवृत्ति तक के कालखंड के लिए होनी चाहिए। नियोक्ता को मेडिकल कवर के बारे में आश्वस्त  कराने के साथ साथ , सरकार को स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को भी प्रोत्साहन राशि देना चाहिए ताकि वे अधिक से अधिक नागरिक समूहों का बीमा करवाए और उसकी वार्षिक बीमा राशि कम रखे।
     
दवाओं का खर्च
     
पूरे भारत में जन औषधि दुकानों को शुरू करने के लिए सरकार को बजट में धन का प्रावधान रखना चाहिए ताकि किफ़ायती दाम पर दवाएँ वरिष्ठ नागरिकों की पहुँच में रहें। ठीक इसी तरह अधिक से अधिक दवाओं को दवा मूल्य नियंत्रण आदेश के अंतर्गत लाया जाना चाहिए जिससे दवाओं की कीमतों का बोझ रहे।

चिकित्सकीय देखभाल

अमेरिका, कनाडा और अन्य कई विकसित देशों में 60 साल से अधिक आयु के सेवानिवृत्त लोगों को यह अधिकार प्राप्त है कि उनकी चिकित्सकीय देखभाल सरकारी खर्च पर हो। भारत में इस तरह की कोई योजना नहीं है। सरकारी चिकित्सालयों में आर्थिक रूप से कमज़ोर तबके के लोगों के लिए मुफ़्त चिकित्सकीय देखभाल का प्रावधान है पर हर कोई जानता है कि इस तरह की सुविधाएँ केवल कागज़ों पर होती है। इसे जल्द से जल्द बदलने की आवश्यकता है।
कुछ बीमारियों के चिकित्सकीय इलाज के लिए आयकर में 40,000 रुपए तक की छूट का प्रावधान है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह छूट 60,000 रुपए तक है। जिस तरह से दवाओं की कीमतें आसमान छू रही है, वरिष्ठ नागरिकों के लिए ख़ासकर इस सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए।
     
किसी भी तरह के रोजगार में किसी तरह से आमदनी जारी रहने का कोई ज़रिया नहीं होता, अधिकांश सेवानिवृत्त लोगों को अपनी रोज़ाना की ज़रूरतों जैसे भोजन और सबसे ज़्यादा दवाओं के लिए अपनी सेवानिवृत्ति की बचत राशि पर ही निर्भर रहना पड़ता है। अधिकांश सेवानिवृत्त लोग जानते हैं कि वे अपने अवसान के करीब पहुँच रहे हैं और धीरे-धीरे उनका शरीर कई तरह की बीमारियों को जगह देने लगेगा।

इस वजह से सरकार के लिए यह ज़रूरी है कि वह हमारे वरिष्ठ नागरिकों की सहायता में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करें। कर में राहत प्रदान करें ताकि अधिकांश सेवानिवृत्त लोग जिन आर्थिक तक़लीफों का सामना कर रहे हैं उनसे उन्हें आने वाले बजट में राहत और आर्थिक संबल मिल सके। अधिकांश सेवानिवृत्त लोग चिंता और तनाव में रहते हैं। इन सबसे लंबे समय तक दूर रहने के लिए,अच्छी और सुनियोजित दीर्घ सावधि योजनाएँ, निष्पादित करों में सुधार तथा राहत के माध्यम से उन्हें मदद मिल सकती है।

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लेखक गार्डियन फार्मेसीज के संस्थापक अध्यक्ष हैं. वे बेस्ट सेलर पुस्तकों रीबूट- Reboot. रीइंवेन्ट Reinvent. रीवाईर Rewire: 21वीं सदी में सेवानिवृत्ति का प्रबंधन, Managing Retirement in the 21st Century; कॉर्नर ऑफ़िस, The Corner Office; एन आई फ़ार एन आई An Eye for an Eye; बक स्टॉप्स हीयर- The Buck Stops Here – लर्निंग ऑफ़ # स्टार्टअप आंतरप्रेनर और Learnings of a #Startup Entrepreneur and बक स्टॉप्स हीयर- माय जर्नी फ़्राम मैनेजर टू ऐन आंतरप्रेनर, The Buck Stops Here – My Journey from a Manager to an Entrepreneur. के लेखक हैं.

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